करवा चौथ का रहश्य, करवा चौथ क्यों मानते है, करवा चौथ का इतिहास
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जिसके लिए महिलाएं बहुत ही उत्सुक्ता ( बेसवरी ) से इंतजार करती है इस पर्व का नाम सुनते ही विवाहित महिलाओं के चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की ख़ुशी देखने को मिलती है यह पर्व पुरे भारत वर्ष में बहुत ही धुम धाम से मनाया जाता है इस पर्व के दिन सुहागन पत्निया अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास ( व्रत ) रखती है और रात को चांद का अर्ग देने के बाद ही व्रत को तोड़ती है इसके आलावा ये पुरे सिन बिन कुछ खाये और बिन कुछ पिए उपवास रखती है |
करवा चौथ क्या होती है और क्यों मनाते है
करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा के साथ साथ पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन पत्नी (सुहागिनें) अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती हैं यह उपवास कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है | इस लिए इसे करवा चौथ कहते है, मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होने के कारण। इस लिए मां पार्वती की पूजा कर पत्नी (सुहागिनें) अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए व्रत रखती हैं कुछ अन्य कारण भी है जिन में इसका उल्लेख है। चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप हैं, ऐसा माना जाता है की इनकी पूजा और उपवास करने से सारे पाप नष्ट ( ख़त्म ) होते है ,
करवा चौथ का क्या अर्थ है?
करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ है चतुर्थी का दिन|
करवा चौथ के व्रत में क्या खा सकते हैं?
पपीता-केला अपनी सरगी की थाली में केला, सेब ,अनार को खा सकते है ये फल आपके पेट को दिन भर ठंडा रखेंगे, ड्राई फ्रूट्स में आप अखरोट , बादाम , नट्स खा सकते है इनमे काफी मात्रा में प्रोटीन होता है और पुरे दिन भर आपको एनर्जी प्रदान करेंगे
करवा चौथ का व्रत कौन कौन रख सकता है?
इस व्रत को सिर्फ सुभाग्यवती स्त्रिया, विवाहित स्त्रिया , पत्नी (सुहागिनें) ही रख सकती है इस व्रत की यही खासियत है इस व्रत को किसी भी जाती , धर्म ,वर्ग , आयो ( विवाहित ) ,संप्रदाय की विवाहित स्त्री रख सकती है |
क्या करवा चौथ के व्रत में पानी पी सकते हैं?
वैसे तो इस व्रत को लेकर एक कहावत प्रचलित है की इस व्रत को रखने से पति की आयु बढ़ती है पति के ऊपर से संकट दूर होते है| करवा चौथ का व्रत कई महिलाएं आज भी निर्जला करती है हलाकि व्रत की कथाओ में कही ऐसा जिक्र नहीं है करवाचौथ के दिन पानी नहीं पीना चाहिए
प्रेगनेंसी में करवा चौथ का व्रत कैसे रखें?
जो महिलाएं प्रेगनेंसी में है अगर वो फिर भी व्रत रखना चाहते है तो इस समय वो महिलाये फ्रूट्स ,और इसके साथ साथ तरल पदार्थ जैसे फल का जूस, दूध , पानी के साथ साथ ताजे फ्रूट्स भी खा सकते है |
करवा चौथ का इतिहास
पौराणिक कथाओ के अनुशार माना जाता है की इस दिन भगवान शिव ने चंद्र देव को लम्बी आयु का वरदान दिया था और इसके साथ साथ ही चंद्र देव को शांति और प्रेम का प्रतीक माना गया है इसी कारण महिलाये करवा चौथ का उपवास रखती है और चंद्र देव की पूजा करती है जिससे की चंद्र देव के आशीर्वाद से सरे गुण उनके पति के अंदर आ जाये |
इसके आलावा एक और भी वजह बताई गयी है करवा चौथ व्रत को मानाने की | जैसे कि
— इस व्रत की सुरुवात माँ सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाकर भी की थी तभी से पत्नी (सुहागिनें) अन्न और जल त्याग कर श्रद्धा से इस व्रत को करती है
मन जाता है की जब यमराज सत्यवान की आत्मा को लेने आये थे तो पतिव्रता सावित्री ने अपने पति (सुहाग ) के प्राण न ले जाने की भीक मांगी लेकिन यमराज ने पतिव्रता सावित्री की एक न सुनी तभी पतिव्रता सावित्री ने अन्न-जल को त्याग कर अपने पति के शव के पास बैठकर विलाप करने लगी | सावित्री के इस विलाप से यमराज भी चिंत्ता में पड़ पाए इन सब से विचलित होकर यमराज ने सावित्री से कहा की तुम अपने पति के प्राण के आलावा कोई और वर मांग लो , तो फिर सावित्री ने यमराज से कहा की आप मुझे कई संतानो की माँ बनाने का वर दे दो तो यमराज ने विना कुछ सोचे समझे हाँ कर दी | पतिव्रता स्त्री होने के कारण सावित्री किसी और पुरुष के बारे में सोच भी नहीं सकती थी और इन सब को देखती हुए यमराज अपने वचनानुसार सत्यवान को छोड़ कर जाना पड़ा | और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौप दिया |
इसके अतिरिक्त एक और कथा है
–द्विज नमक ब्राह्माण के सात पुत्र व वीरावती नामक एक पुत्री थी पुत्री के विवाह के साथ जब उसने पहली बार मायके (माँ के घर ) में व्रत रखा तो निर्जला उपवास होने के कारण वीरावती से भूख सहन नहीं हो रही थी यह सब उसके भाईयो से देखा नहीं जा रहा था और उन्होंने नगर के बहार वट के वृक्ष पर एक लालटेन जला दी और और अपनी बहन को चंद्र देव बता कर अर्ग दिलवा दिया
वीरावती जैसे ही अर्ग देकर खाना खाने बेठी तो पहले निवाले में तो बार निकलना और दूसरे निवाले पर छींक आई और तीसरे निवाले पर ससुराल से बुलावा आ गया | जैसे ही वीरावती ससुराल पहुंची तो देखा की उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी , पति को देखते हुए वीरावती विलाप करने लगी | तभी इन्द्राणी आयी और बारह माह की चौथ और करवा चौथ का उपवास करने को कहा
वीरावती ने श्रद्धापूर्वक और भक्ति से बारह माह की चौथ और करवा चौथ का उपवास किया | इस तरीके से वीरावती के पति को उन्हे जिंदगी प्राप्त हो गयी |
अतः पति की दीर्घ आयु के लिए पत्नी पुरातनकाल से करवा चौथ का उपवास करती आ रही है |